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हिंदी दिवस प्रतियोगिता


आओ मोहन बैठो दो पल
ये सुंदर रात कहाँ होगी
कल तुम गोकुल से जाओगे
फिर तुमसे बात कहाँ होगी।

ये मात यशोदा, नन्द संग
सब ग्वाले गौएँ व्याकुल हैं
तुमसे वियोग होने से पहले
मर जाने को आकुल हैं।

माना तुम तीनों लोकों के
पालक हो उत्तरदायी हो
पर उस जनता का क्या जो
मात्र तुम्हारे हेतु आयी हो।

इस गोकुल से बाहर जाकर
तुम प्रेम के धाम नहीं होंगे
तुम रणबांकुरे जग जीत हुए
मुरलीधर श्याम नहीं होंगे ।

गोकुल सा कोई गांव नहीं
राधा सी कोई सखी नहीं
और नन्द यशोदा ग्वालों बिन
मोहन भी किंचित सुखी नहीं।।


हिंदी दिवस प्रतियोगिता हेतु



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7 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन और भावनात्मक अभिव्यक्ति, लाजवाब

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Supriya Pathak

08-Sep-2022 11:53 PM

Achha likha hai 💐

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Anshumandwivedi426

08-Sep-2022 11:56 PM

सहृदय धन्यवाद

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Raziya bano

08-Sep-2022 08:32 AM

Nice

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Anshumandwivedi426

08-Sep-2022 08:52 AM

Thanks

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